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[Chhattisgarh] गरियाबंद जिला - एक नजर, पर्यटन-ऐतिहासिक एवं भौगोलिक परिपेक्ष्य।

01 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया गरियाबंद जिले का समारोहपूर्वक शुभारंभ 11 जनवरी 2012 को मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह द्वारा किया गया। 5 हजार 822.861 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह जिला प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। उत्तर में पैरी एवं सोढ़ूर नदी यहां से प्रवाहित होती है तथा राजिम में मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है।

ओडिसा राज्य की सीमा का निर्माण करते हुए तेल नदी प्रवाहित होती है। जिले के प्रमुख तीर्थ स्थल राजिम जिसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज भी कहा जाता है, में हर साल माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है। यह जिला पांच तहसीलों का भौगोलिक क्षेत्रफल क्रमशःगरियाबंद तहसील क्षेत्रफल - 726.12 वर्ग किलोमीटर, छुरा तहसील क्षेत्रफल - 714.62 वर्गकिलोमीटर, मैनपुर तहसील क्षेत्रफल -670.52 वर्गकिलोमीटर, देवभोग तहसील क्षेत्रफल
-301.53 वर्गकिलोमीटर एवं राजिम तहसील
जिसका क्षेत्रफल - 474.27 वर्ग किलोमीटर है, में विभाजित है। जिले में इतने ही विकासखण्ड फिंगेश्वर, गरियाबंद, छुरा, मैनपुर एवं देवभोग है। इनमें से गरियाबंद, छुरा एवं मैनपुर आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड है। जिले में चार नगरीय निकाय है, जिसमें से एक नगर पालिका गरियाबंद एवं तीन नगर पंचायत राजिम, छुरा एवं फिंगेश्वर हैं। गरियाबंद वनमण्डल का क्षेत्रफल 1951.861 वर्ग किलोमीटर है तथा उदंती सीता नदी टाईगर रिजर्व में इस जिले
का 983.94 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल शामिल है।

गरियाबंद जिला राजिम की प्राचीन मंदिरों के
दर्शन से प्रारंभ होता है। फिंगेश्वर विकासखण्ड
मैदानी होने के कारण सिंचाई, उन्नत कृषि वाला
क्षेत्र है। वहीं छुरा विकासखण्ड घटारानी एवं जतमई जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। बारूका एनीकट, टोनहीडबरी, रमईपाट सहित रसेला से लगा हुआ ओडि़सा सरहद का मलयगिरी पर्वत वन एवं मैदानी क्षेत्र है। गरियाबंद विकासखण्ड में पैरी एवं सोंढूर नदी के संगम से धमतरी जिला की सीमा बनाते हुए साल, सागौन सहित वनोपज सम्पदा से सम्पन्न क्षेत्र है। मैनपुर विकासखण्ड पूरी तरह सघन वनों वाला क्षेत्र होने के साथ ही बेहराडीह एवं पायलीखण्ड में बहुमूल्य रत्नों को धारित किये हुये है। दुर्लभ प्रजाति के वनभैंसों के लिए विख्यात उदंती अभ्यारण्य इसी विकासखण्ड में स्थित है। सघन बसाहट वाले देवभोग विकासखण्ड में अलेक्जेण्ड्राईट, कोरण्डम एवं गारनेट जैसे बहुमूल्य रत्न भण्डारित है। पूर्व में यह रायपुर राजस्व जिले में शामिल था। जिले का कुल 51 फीसदी वन क्षेत्र है। जिले के तहत कुल 711 गांव आते हैं। इस नवगठित जिले में अलेक्जेंडर और हीरे जैसी मूल्यवान खनिज सम्पदा भी है। कहा जाता है कि गिरि यानी पर्वतों से घिरे होने के कारण इसका नाम गरियाबंद रखा गया। पहले यह रायपुर राजस्व जिले में शामिल था। इस जिले में वन्य प्रणियों सहित जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध उदंती अभ्यारण्य है। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र संगम पर स्थित देश का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल राजिम अब इस जिले में शामिल हो गया है। इस जिले के देवभोग क्षेत्र के चावल इस जिले की पहचान है।

लोक मान्यता है कि पूर्व में देवभोग क्षेत्र का
चावल, भगवान जगन्नाथ के भोग के लिए
जगन्नाथपुरी भेजा जाता था। इसलिए इस इलाके के चावल का नामकरण देवभोग हो गया।

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