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चंद्रपुर - माँ चंद्रहासिनी देवी

चंद्रपुर की चंद्रसेनी देवी

●महानदी और मांड नदी से घिरा चंद्रपुर, जांजगीर-चांपा जिलान्तर्गत रायगढ़ से लगभग ३२ कि.मी. और सारंगढ़ से २२ कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ चंद्रसेनी देवी का वास है और कुछ ही दुरी (लगभग 1.5कि.मी.) पर माता नाथलदाई का मंदिर है जो की रायगढ़ जिले की सीमा अंतर्गत आता है।

●कहते है कि एक बार चंद्रसेनी देवी सरगुजा
की भूमि को छोड़कर उदयपुर और रायगढ़ होते
हुए चंद्रपुर में महानदी के तट पर आ गईं। महानदी की पवित्र शीतल धारा से प्रभावित होकर यहाँ पर वे विश्राम करने लगीं। वर्षों व्यतीत हो जाने पर भी उनकी नींद नहीं खुली। एक बार संबलपुर के राजा की सवारी यहाँ से गुज़री और अनजाने में उनका पैर चंद्रसेनी देवी को लग गयाऔर उनकी नींद खुल गई। फिर एक दिन स्वप्न में देवी ने उन्हें यहाँ मंदिर के निर्माण और मूर्ति की स्थापना का निर्देश दिया।

●प्राचीन ग्रंथों में संबलपुर के राजा चंद्रहास द्वारा मंदिरनिर्माण और देवी स्थापना का उल्लेख मिलता है।

●देवी की आकृति चंद्रहास जैसी होने के
कारण उन्हें ''चंद्रहासिनी देवी'' भी कहा जाता है। इस मंदिर की व्यवस्था का भार उन्होंने यहाँ के ज़मींदार को सौंप दिया। यहाँ के ज़मींदार ने उन्हें अपनी कुलदेवी स्वीकार कर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी। आज पहाड़ी के चारों ओर अनेक धार्मिक प्रसंगों, देवी- देवताओं, वीर बजरंग बली और अर्द्धनारीश्वर की आदमकद प्रतिमाएँ, सर्वधर्म सभा और चारों धाम की आकर्षक झाँकियाँ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र
है।

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