छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर से करीब तीन सौ अस्सी किलोमीटर दूर दंतेवाडा नगर स्थित है। यहां के डंकिनी और शंखिनी नदियों के संगम पर माँ दंतेश्वरी का मंदिर प्रस्थापित है। पुरातात्विक महत्व के इस मंदिर का पुनर्निर्माण चालुक्य वंश के महाराजा अन्नमदेव द्वारा चौदहवीं शताब्दी में किया गया था। आंध्रप्रदेश के वारंगल राज्य के प्रतापी राजा अन्नमदेव ने यहां आराध्य देवी माँ दंतेश्वरी और माँ भुवनेश्वरी देवी की प्रतिस्थापना की। वारंगल में माँ भुनेश्वरी माँ पेदाम्मा के नाम से विख्यात है।
दंतेश्वरी मंदिर के पास ही शंखिनी और डंकिन नदी के संगम पर माँ दंतेश्वरी के चरणों के चिन्ह मौजूद है और यहां सच्चे मन से की गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।
●दक्षिण भारतीय वास्तुकला शैली में यह मंदिर निर्मित है।
●दंतेश्वरी मंदिर छ: सौ वर्ष पुराने मंदिरों में से एक है जो भारत की प्राचीन धरोहर स्थलों में भी गिना जाता है।
●भारत में 51 शक्ति पीठ हैं लेकिन दंतेश्वरी देवी के मंदिर को 52वाँ शक्तिपीठ माना जाता है। दंतेश्वरी मंदिर छ: सौ वर्ष पुराने मंदिरों में से एक है जो भारत की प्राचीन धरोहर स्थलों में भी गिना जाता है।
●दंतेश्वरी मन्दिर गोल बाज़ार व बस्तर पैलेस के पास स्थित एक बहुत ख़ूबसूरत मंदिर है।
●दंतेश्वरी देवी बस्तर के राजाओं की कुल देवी थी।
2 टिप्पणियां:
bahut hi acha sahar hai dantewada aur vaha ka mandir bhi lajwab hai ek bar aap jarur jai
बहुत बढ़िया है।
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